बिहार के सहकारी बैंकों से लोन लेने वाले किसानों के लिए Good News, लोन हो सकता है माफ!

बिहार के सहकारी बैंकों से लोन लेने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। अगर लोन खाता एनपीए हो गया है तो जल्द उनको कुछ राहत मिलने वाली है। सहकारी बैंक ऐसे खातों को बंद करने के लिए जल्द ही एकमुश्त भुगतान योजना (ओटीएस) लाने वाले हैं।



सहकारी बैंकों ने ओटीएस योजना अपने बोर्ड से पारित करा लिया है, लेकिन कोरोना को लेकर इसे अभी लागू नहीं किया जा रहा है। उम्मीद है किसानों की फसल कटने पर नवम्बर या दिसम्बर में यह योजना लागू होगी। इस योजना से लगभग ढाई लाख ऐसे लोनधारकों को लाभ होगा, जो समय से पैसा नहीं भुगतान कर सके हैं। इसमें सबसे ज्यादा केसीसी लेने वाले किसानों की संख्या है।

बैंक ने लोन का 70 फीसदी से लेकर पूरा सूद माफ करने करने तक की योजना बनाई है। इसका सेटलमेंट आधार अवधि पर तय किया जाएगा। ऐसे खाते जो छह साल से लॉस एसेट घोषित कर दिये गये हैं। यानी उन खातों को जिन्दा रखने से बैंक को रोज घाटा हो रहा है, उनको इस योजना का लाभ मिलेगा। इसके अलावा ऐसे लोन खाताधारकों को भी लाभ मिलेगा, जो बैंक की नजर में संदेहास्पद हो गए हैं। उनकी गणना तीन से छह साल के आधार पर की जाएगी। पूरी गणना के बाद एकमुश्त राशि जमा करने वाले खाताधारकों को नये सिरे से दोबारा लोन लेने में कोई परेशानी नहीं होगी।

बैंकों ने इसके अलावा भी अपना लाभ बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर विचार किया है। अब ये बैंक ग्राहकों का पैसा छोटे बैंकों में फिक्स्ड डिपोजिट नहीं करेंगे। इसके लिए बड़े बैंकों का ही चयन होगा जो ज्यादा सूद देंगे। इसके अलावा सरकार के बांड खरीदने में अधिक पैसा लगायेगा।

सहकारिता विभाग के मंत्री राणा रणधीर सिंह और सचिव वंदना प्रेयसी ने सहकारी बैंकों को दूसरे वाणिज्यक बैंकों की तरह मजबूत बनाने के लिए कई काम शुरू किये हैं। इसी के तहत इस बार बैंकों का एनपीए दूसरे बैंकों से काफी कम हो गया। नेट गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) लगभग डेढ़ प्रतिशत आ गया है। ओटीएस लागू होने के बाद यह और काम होगा।
यह है स्थिति

2.5 लाख ग्राहकों को होगा योजना से लाभ
25 लाख ग्राहक हैं सहकारी बैंकों के
24 सहकारी बैंक हैं राज्य में
330 शाखाएं हैं इन बैंकों की
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