ताड़ के हर पौधे पर 250 रुपये की मदद देगी सरकार, जानिए इसके बारे में सबकुछ
एक हेक्टेयर की फसल से निकलता है लगभग चार टन तेल. देश में 28 लाख हेक्टेयर में पाम ऑयल की खेती की संभावना. लेकिन इसकी खेती तो तभी होगी जब किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा.
ताड़ के एक हेक्टेयर की फसल से लगभग चार टन तेल निकलता है. (Photo-Ministry of Agriculture) |
खाद्य तेलों (Edible Oils) का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर दूसरे देशों पर इसकी निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को 11,040 करोड़ रुपये वाले ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम’ को लागू करने की मंजूरी दे दी. लेकिन ताड़ की खेती (Palm tree farming) में वृद्धि करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना होगा. ताड़ के पुराने बागों को दोबारा चालू करने के लिए 250 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से विशेष सहायता मिलेगी. यानी हर एक पौधा रोपने पर 250 रुपये मिलेंगे. सरकार को उम्मीद है कि इससे किसानों (Farmers) का झुकाव दूसरी फसलों की बजाय पाम फार्मिंग की तरफ होगा.
योजना के तहत ताड़ की खेती के लिए सहायता में भारी बढ़ोतरी की गई है. पहले सरकार प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपये की मदद देती थी, जिसमें वृद्धि करके लगभग तीन गुना 29 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है. इसके अलावा रख-रखाव और फसलों के दौरान भी सहायता में वृद्धि कर दी गई है. यही नहीं सरकार ने पाम ऑयल किसानों को ताजे फलों के गुच्छे की कीमत के लिए आश्वासन भी दिया है, ताकि इसकी खेती का रकबा और पैदावार दोनों बढ़े. अन्य तिलहनों (Oilseeds) की तुलना में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ताड़ के तेल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना तक अधिक होता है. एक हेक्टेयर की फसल से लगभग चार टन तेल निकलता है.
यहां एक करोड़ रुपये देगी सरकार
देश में ताड़ पौधारोपण के साजो-सामान की कमी को दूर करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. इसके बीजों की पैदावार करने वाले बागों को सहायता दी जाएगी. इसके तहत भारत के अन्य स्थानों में 15 हेक्टेयर के लिए 80 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद मिलेगी जबकि पूर्वोत्तर तथा अंडमान क्षेत्रों में यह रकम एक करोड़ रुपये हो जाएगी. इसके अलावा शेष भारत में बीजों के बाग के लिए 40 लाख रुपए तय किए गए हैं.
पूर्वोत्तर में इस तरह भी मदद
पूर्वोत्तर और अंडमान (Andaman) को विशेष सहायता का भी प्रावधान है. जिसके तहत पहाड़ों पर सीढ़ीदार अर्ध चंद्राकार में खेती, बायो-फेंसिंग और जमीन को खेती योग्य बनाने के साथ एकीकृत किसानी में मदद मिलेगी. पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान के उद्योगों को पूंजी सहायता के संदर्भ में पांच मीट्रिक टन प्रति घंटे के हिसाब से पांच करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसमें यह भी देखा जाएगा कि अमुक समय में कितना काम हुआ और उसके हिसाब से क्षमता बढ़ाने का प्रावधान भी शामिल है. ताकि इन क्षेत्रों के प्रति उद्योग आकर्षित हों.
इस समय 3.70 लाख हेक्टेयर में होती है खेती
कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2020 में भारतीय तेल ताड़ अनुसंधान संस्थान (IIOPR) ने पाम ऑयल (Palm Oil) की खेती के लिए एक विश्लेषण किया था. उसने लगभग 28 लाख हेक्टेयर में पाम ऑयल की खेती के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे, जबकि मौजूदा समय में इसकी खेती के तहत केवल 3.70 लाख हेक्टेयर का रकबा ही आता है. यानी देश में ताड़ के पौधे लगाने की अपार क्षमता मौजूद है. जिसके आधार पर कच्चे ताड़ के तेल की पैदावार भी बढ़ाई जा सकती है.
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