58 लाख किसानों की बनेगी यूनिक आईडी, सरकार ने बताया- कहां होगी KYC और किन कागजात की होगी जरूरत?
कृषि विभाग की निदेशक ने बताया कि योजना के तहत राज्य भर के किसानों को एक विशिष्ट आईडी के साथ पंजीकृत किया जाएगा. इसमें एक बारकोड होगा, जिसमें किसानों द्वारा प्राप्त की जा रही योजनाओं की जानकारी शामिल होगी.
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने किसानों के लिए एक खास योजना की शुरुआत की है. इस योजना का नाम रखा गया है, बिरसा किसान. किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें समृद्ध करने के उदेश्य से शुरू की गई इस योजना पर काम शुरू हो गया है. बिरसा किसान के तहत राज्य के करीब 58 लाख किसानों का एक यूनिक आईडी बनाया जाएगा, जिसमें एक बारकोड भी होगा. जानकारी के मुताबिक, बारकोड में उन योजनाओं के बारे में जानकारी होगी, जिसका लाभ राज्य के किसान ले रहे हैं. कृषि विभाग की निदेशक, निशा उरांव सिंघमार ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि ‘बिरसा किसान’ योजना के तहत राज्य भर के किसानों को एक विशिष्ट आईडी के साथ पंजीकृत किया जाएगा. इसमें एक बारकोड होगा, जिसमें किसानों द्वारा प्राप्त की जा रही योजनाओं की जानकारी शामिल होगी. निशा उरांव सिंघमार ने कहा कि सभी किसानों का ई-केवाईसी प्रज्ञा केंद्रों पर किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना के तहत केवल प्रामाणिक किसान ही पंजीकृत हों. उन्होंने कहा कि राज्य के 58 लाख किसान ‘बिरसा किसान’ के दायरे में आएंगे.
झारखंड कृषि विभाग के मुताबिक, योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए किसानों को आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक खाता देना होगा. बैंक खाता का इस्तेमाल डायरेक्ट बेनेफिट स्कीम (DBT) के लिए किया जाएगा. प्रज्ञा केंद्रों में किसानों का केवाईसी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आधार नंबर वाले प्रमाणिक किसान ही योजना के तहत पंजीकृत हों.
कृषि विभाग ने बताया कि यूनिक आई के साथ मिलने वाले बारकोड का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए जाएगा। साथ ही बार कोड के जरिए किसानों को दी जाने वाले सभी सरकारी योजनाओं के लाभ की जानकारी भी मिल जाएगी, जिसे एक सर्वर पर अलग से अपलोड करके स्टोर कर लिया जाएगा. इससे यह पता चल पाएगा कि किस किसान को कौन सी योजना का लाभ मिल चुका है.
दरअसल, बिरसा किसान योजना के तहत यूनिक आईडी और बारकोड बनाने के पीछे सरकार का उदेश्य है कि बिचौलियों की भूमिका को समाप्त किया जा सके। वहीं यूनिक आइडी कार्ड का एक और फायदा यह भी होगा कि फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी हो सकेगी.
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